इन्टरनेट कैफे- खतरे व बीमारी की दूकान
इन्टरनेट कैफे या सायबर कैफे इन्टरनेट एक्सेस करने का सबसे सुलभ साधन माना जाता है.बहुत सारे कामकाजी लोग यहाँ आकर अपने दिन भर के काम की रिपोर्टिंग  चंद मिनटों में अपने ऑफिस के वेब साईट पर पोस्ट कर देते हैं या फिर अपने बॉस के ई-मेल पर भेज कर निश्चिन्त होते हैं.बहुत सारे स्टुडेंट ऑनलाइन फॉर्म भी सायबर कैफे से भर देते हैं और वे ऑनलाइन पढ़ाई से सम्बंधित सामग्री भी ढूंढते नजर आते हैं.इन्टरनेट के अन्य बहुत से अनुप्रयोगों के व्यवहार का सबसे सुलभ साधन भारत में सायबर कैफे ही है.देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा अत्याधुनिक तकनीक से लैश अधिकाँश सायबर कैफे के मालिकों को देश व व्यक्तिगत सुरक्षा से कोई लेना देना नही है,उन्होंने तो सिर्फ पैसे कमाने के लिए ही कैफे खोल रखा है.कैफे में कौन आया, कौन गया और उसका उद्द्येश्य क्या था,ये जानने की ये कोई जरूरत नहीं समझते.हाल के दिनों में आतंकवादियों और जालसाजों ने आतंक और हेराफेरी के लिए कैफे को ही अपना सबसे बड़ा माध्यम बनाया है.सायबर क्राईम विशेषज्ञों के सामने सबसे बड़ी परेशानी उस समय आती है जब वे आई०पी०अड्रेस के आधार पर सटीक कंप्यूटर,जिससे क्राइम किया गया है,तो पकड़ लेते हैं,पर जब वो कंप्यूटर किसी सायबर कैफे का होता है तो और यदि कैफ़े ने यूजर्स का कोई रिकॉर्ड नही रखा होता है तो सारा किया धरा व्यर्थ साबित हो जाता है.
भारत में सायबर कैफ़े के लिए बने क़ानून क्या कहते है? 
भारत में यदि सायबर कैफ़े के लिए सरकार के द्वारा बनाये नियमों की बात करें तो सबसे पहले इसकी चर्चा 'इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी एक्ट २०००' में की गयी जो पूर्ण नहीं थी.इस एक्ट में सायबर कैफ़े को परिभाषित तक नहीं किया गया था और एक्ट के आधार पर सायबर कैफ़े को 'नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर' के अंतर्गत माना गया था और इसी एक्ट के धारा ७९ में इसकी जवाबदेही तय करने का प्रयास किया गया था.पर 'इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट २००८' में पहली बार सायबर कैफ़े को परिभाषित करते हुए 'सायबर कैफ़े रेग्युलेशन एक्ट' पर भी विस्तार से क़ानून सामने रखे गए.इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट २००८ की धारा 2(na) में इसे परिभाषित करने का भी प्रयास किया गया और इसके मुताबिक़ सायबर कैफ़े किसी भी तरह की इंटरनेट की सुविधा प्रदान करने का वह माध्यम है जो व्यवसाय के उद्द्येश्य से आम लोगों के लिए होता है.वास्तव में यह परिभाषा इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी अमेंडमेंट एक्ट२००६ में एक्सपर्ट कमिटी के द्वारा  जो सायबर कैफ़े को परिभाषित करने का प्रयास किया गया था,उसी का संशोधित रूप था.हालांकि ये परिभाषा विभिन्न राज्यों द्वारा सायबर कैफ़े के लिए पारित रेग्युलेशन में दिए अलग-अलग परिभाषा  से थोडा हट के हो सकता है.वैसे भी इस एक्ट को मोनिटरिंग करने के लिए केन्द्र सरकार की एजेंसी और राज्य सरकार द्वारा जारी किये गए रेग्युलेशंस में सामंजस्य स्थापित करने के लिए आवश्यक है कि एक ही 'ऑल इंडिया सायबर कैफ़े मोनिटरिंग ऑथोरिटी' बने जो पूरे देश के सायबर कैफ़े को बनाये नियमों को लागू करवाने पर जोर दे सके.
क्या करना चाहिए सायबर कैफ़े को ?
भारत में बने क़ानून के आधार पर सायबर कैफ़े को कम से कमनिम्न नियमों का पालन तो अवश्य ही करना चाहिए:
             किसी विजिटर को सायबर कैफ़े में प्रवेश नही दिया जाना चाहिए जब तक कि वह अपना विश्वसनीय फोटो पहचान पत्र,जैसे-पासपोर्ट,कॉलेज परिचय पत्र,पैन कार्ड,वोटर आईडी,ड्राइविंग लायसेंस,ऑफिस परिचय पत्र आदि मूल रूप में न दिखाए.
             प्रत्येक कैफ़े मालिक/मैनेजर को यूजर्स के लिए एक रजिस्टर खोल लेना चाहिए जिसमे एंट्री यूजर के द्वारा ही भरा जाना चाहिए.रजिस्टर का फोर्मेट निम्न तरीके से हो:
Sr.No. Date Start Time End Time Full Name, address, age, Gender X Telephone Number of user / visitor Type of
Photo Identification  produced
Purpose for visiting cyber cafe
web surf /
E mail/ Chat etc.
Initial of conductor /manager Signature of user
  ३. कैफ़े का मालिक या संचालक लॉग रेकॉर्ड को मांगे जाने पर पुलिस के समक्ष तुरंत प्रस्तुत करे.
किस तरह के क्राईम हो सकते हैं सायबर कैफ़े से
दरअसल यूजर्स पर निगाह नहीं रखने के कारण बहुत सारे कैफ़े अश्लीलता (पोर्नोग्राफी) का अड्डा बन गए हैं.किशोरावस्था में कदम रखे युवा के लिए घर तो असुक्षित है पर कैफ़े इनके लिए सुरक्षित चारागाह  हैं. कानून  में फोटो पहचान पत्र की व्यवस्था इसलिए भी की गयी है कि ये परिचय पत्र नाबालिगों को इश्यू नहीं किये जाते हैं इसके अलावे सायबर कैफ़े आज जायज और नाजायज दोनों ही तरह के चैटिंग का भी सबसे बड़ा अड्डा बन चुका है.ई-मेल से धमकी या ई-मेल का नाजायज प्रयोग भी अक्सर वैसे ही सायबर कैफ़े से किया जाता है जहाँ विजिटर्स का रिकॉर्ड मेनटेन नही किया जाता है.आतंकवादियों द्वारा अधिकाँश मैसेज कैफ़े के कंप्यूटर से ही किया जा रहा है,जिससे वे आसानी से बच निकलते हैं और धरा जाता है कैफ़े मालिक.फायनांशियल चीटिंग जैसे बैंक खातों  में हेरा-फेरी ,फीशिंग,किसी का प्राइवेट इन्फोर्मेशन चुराना या लेना, लर्किंग-जिसमे दूसरे की एक्टिविटी वाच की जाती है आदि आदि के लिए लापरवाह कैफ़े से सुरक्षित जगह सायबर क्रिमिनल के लिए और कुछ नही है.कभी-कभी तो किसी लड़की का फेक अकाउंट भी कैफ़े से ही बना दिया जाता है जिस पर उसे अश्लील ढंग से प्रस्तुत कर उसकी इज्जत को तार-तार करने का प्रयास किया जाता है.
कुल  मिलाकर कहा जा सकता है कि जब तक भारत में सायबर कैफ़े में सायबर जागरूकता का विकास  पूर्ण रूपेन नहीं होता है,हम सब असुरक्षित हैं.पुलिस के साथ साथ सायबर जानकार का यह कर्तव्य होना चाहिए कि वे इस जागरूकता को फैला कर देश को सुरक्षित करें ताकि इंटरनेट की इस अत्युत्तम तकनीक का सदुपयोग हो सके.

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  1. u r great sir